न्यूज फॉर यू (नई दिल्ली) : तमाम चुनौतियों को दरकिनार करते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार के सियासी महासमर का ऐलान कर दिया है। पिछले दो दशक में संभवत: सबसे कम अवधि और चरणों में चुनाव की पूरी प्रकिया होगी। 28 अक्टूबर से तीन चरणों में मतदान तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा और नतीजे की घोषणा 10 नवंबर को होगी। खास बदलाव यह है कि मतदान के लिए एक घंटे का वक्त बढ़ाया गया है। यह सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक होगा। यह बदलाव नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नहीं होगा। अन्य सुरक्षा इंतजाम भी किए गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बिहार विधानसभा चुनाव का ऐलान करते हुए कहा कि कोरोना काल में यह देश का पहला बड़ा चुनाव होने जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कोरोना के चलते दुनिया के करीब 70 देशों में चुनाव का टाले गए है। हम चाहते थे, कि लोगों का लोकतंत्र का अधिकार बना रहे। यही वजह है कि सभी स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों के तहत चुनाव कराने जा रहे है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए पोलिंग बूथों की संख्या भी बढ़ाई गई है। 2015 के चुनाव में बिहार में कुल 65 हजार पोलिंग बूथ बनाए गए थे, इस बार इनमें करीब 63 फीसद की बढ़ोत्तरी गई की गई है। जो अब 1.06 लाख हो गई है। इसके तहत प्रत्येक पोलिंग बूथ पर वोटरों की संख्या अब औसतन 684 के आसपास हो गई है। पहले यह पंद्रह सौ या उससे ज्यादा भी होती थी। वोटिंग के लिए आने वाले प्रत्येक वोटरों के लिए मास्क और ग्लब्स को अनिवार्य किया गया है। इस दौरान प्रत्येक पोलिंग बूथ पर मास्क और ग्लब्स की व्यवस्था भी रहेगी। जिनके पास मास्क और ग्लब्स नहीं होगा, उन्हे ये दिए जाएंगे । इसके तहत 46 लाख मास्क और 7 करोड़ हैैंड ग्लब्स, लगभग 7 लाख हैंड सैनीटाइजर, 6 लाख पीपीइ किट का इंतजाम किया गया है। प्रत्येक पोलिंग बूथ पर थर्मल स्कैनर भी रहेगी। जहां मतदान के लिए आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच के बाद भी पोलिंग बूथ के अंदर जाने दिया जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार 7.29 करोड़ से ज्यादा वोटर मतदान में हिस्सा ले सकेंगे। इनमें लंबे समय से बाहर रहने वाले करीब 2.3 लाख ऐसे लोग मजदूर भी है, जो कोरोना संक्रमण के चलते लगाए देशव्यापी लॉकडाउन के बीच लौट आकर आए थे। विशेष अभियान चलाकर इन सभी के नाम पहली बार वोटर लिस्ट में शामिल किया गया है। हालांकि इस दौरान बाहर से आए 14 लाख मजदूर और भी है, लेकिन इनके नाम वोटर लिस्ट में पहले से ही थे।